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गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने एक ऐसा बयान दिया है या यूं कहें की ऐसी बात कही है, जिसे कहने की हिम्मत असम के किसी मुख्यमंत्री या किसी राजनेता ने आज तक नहीं की. उन्होंने कहा कि मारवाड़ी से कलेक्शन करके या बिहारी को धमकी देकर असमिया जाती उन्नति नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि मारवाड़ी अपनी दुकान- प्रतिष्ठान में कई लोगों को नौकरी देता है. हमें चाहिए कि हम उसका गामोसा पहनाकर अभिनंदन करें. पर हमारे लोग ऐसा करने के विपरीत उनसे चंदा मांगते हैं. कहते हैं कि वे गलत काम कर रहे हैं. अगर वे कोई गलत या अनैतिक काम करते हैं, तो उसे देखने के लिए कानून है, सरकार है, प्रशासन है. वैसे भी जोर जर्बदस्ती चंदा मांगने वाले भी तो गलत काम ही करते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीरामपुर और बक्शीरहाट के चेक गेटों पर रहने वाले लोग देखते हैं कि असम में जरूरत की अमूमन हर चीज बाहर से आ रही है. बाहर के राज्यों से आयातित माल लेकर दिन भर ट्रक आते रहते हैं. हम कुछ भी उत्पादन नहीं करते. उन्होंने कहा कि क्यों नहीं हम भी असम से ऑर्गेनिक सब्जियां, फल, कपड़े या अन्य चीजें बाहर के राज्यों में भेज पाते. मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि सरकारी प्रयासों के फलस्वरूप राज्य के हर जाति – वर्ग के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो गई है. अब वक्त है आर्थिक क्रांति का. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे चाहते हैं कि राज्य के युवा छोटी पूंजी से ही सही, व्यवसाय वाणिज्य शुरू करें. उन्होंने धीरूभाई अंबानी का उदाहरण देते हुए बताया कि एशिया के सबसे धनी व्यावसायिक साम्राज्य के पुरोधा ने भी अपना व्यवसाय कुछ हजार रुपयों से शुरू किया था. हिमंत ने राज्य में कार्य संस्कृति को बढ़ाने का आह्वान करते हुए राज्य के युवाओं से कहा कि चंदा संस्कृति को विराम देकर वे ऐसे कामों में लगे, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो. उन्होंने कहा कि राज्य में संभावनाएं हैं. आवश्यकता है कि स्थानीय लोग व्यापार – वाणिज्य को लेकर अपनी मनःस्थिति, अपनी सोच को बदलें.