
रमेश मुंदड़ा, होजाई, जून 1 : हाथी और मानव संघात की घटनाएं निरंतर चल रही है। इसका मुख्य कारण है जंगलों की अवैध कटाई जिसके कारण वन्यजीवों को वन से निकलकर भोजन की तलाश के लिए रिहायशी इलाकों पर आना पड़ता है। जिसके कारण होजाई के विभिन्न गांवों में लोगों का जीना दूभर हो जाता है क्योंकि हाथी का तांडव संध्या होते ही शुरू हो जाता है। भोजन की तलाश में हाथियों का झुंड- घरों, दुकानों, फसलों आदि को अपना निशाना बनाते हैं।
ऐसी घटनाएं लगातार होजाई के विभिन्न गांव में देखने और सुनने को रोजाना मिल रही है। ऐसी ही एक और घटना बीती रात होजाई के उत्तर कुमराकांटा गांव में घटी जहां मंजू हासम नामक व्यक्ति के घर पर एक हाथी ने घुसकर घर में रखे चावल को खा गया। वहीं हाथियों का दल ठेपलाकुड़ी गांव में जनजाति प्राथमिक विद्यालय की दीवार को नुकसान पहुंचा है।
इस दौरान स्थानीय लोगों की तत्परता से हाथियों के दल को खदेड़ा गया। वहीं रविवार रात्रि को हाथियों ने गांव के स्कूल में भी घुसकर नुकसान पहुंचाने के चलते गांव के लोग का जीना मुश्किल हो रखा है।
गांव वासियों का कहना है एक तरफ तो कोरोना का कहर, दूसरी तरफ हाथियों का तांडव, तीसरी तरफ महंगाई डायन ने हमारा हाल बेहाल कर रखा है। वहीं हर साल असम में जून-जुलाई में बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है। स्थानीय गांव वासियों का कहना है कि हमें हाथी मानव संघात के लिए एक स्थाई समाधान चाहिए हम सुख शांति से अपना जीवन यापन कर सकें। उन्होंने वन विभाग से मांग की जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।।
