नगांव से डिंपल शर्मा

“बंदउ गुरुपद कंज,कृपा सिंधु नर रूप हरि।महामोह तम पुंज,जासु बचन रवि करनी कर”
प्राचीन युग से चले आ रहे इस गुरु शिष्य के अटूट रिश्ते का शिष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे कोई नहीं ले सकता। गुरु के बिना संसार में आज तक किसी को भी ज्ञान नहीं हुआ। ब्रह्मा विष्णु और महेश का समाहित रूप होता है गुरु। यह बात मानव उत्थान सेवा समिति की सदस्या और श्री सतपाल महाराज की परम आराधिका इंदिरा देवी रुठिया ने आज गुरु पूर्णिमा के पूर्व कहीं। उन्होंने कहा कि सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज को मैं सह-परिवार आंतरिक ह्रदय से दंडवत नमन करते हुए उनकी छत्रछाया की छांव में बैठ विश्व के सभी संत महात्माओं को सभी सद्गुरुजनों,गुरुजनों को भगवत भक्तों को कोटि-कोटि नमन वंदन करती हूं और सभी भक्तजनों को शिष्यजनों के साथ भगवत प्रेमियों को भक्तजनों को इस महान पर्व पर हार्दिक वंदन अभिनंदन बधाई व मंगल कामना की आशा करती हूँ। रुठिया ने आगे कहा कि गुरु पूजा जिसे व्यास पूजा भी कहा जाता है, पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। सम्पूर्ण सनातन संस्कृति में मनाया जाने वाला सदगुरु को समर्पित गुरु भक्ति का पावन पर्व है। सदगुरु मानव चोले में भगवान के प्रत्यक्ष स्वरूप माने जाते हैं। गुरु ही ऐसे दाता हैं जो साधारण मानव को अपनी कृपा शक्ति और निर्देशों से ध्यान व योग की विधि सिखाकर ईश्वर दर्शन के लिए सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा पर आगे कहा गया कि कहा कि गुरु ही हैं जो जीव को पापों और विकारों से मुक्त कर सकते हैं और मन को भगवान की भक्ति लगा कर परम प्रकाश से जोड़ सकते हैं। उनकी कृपा से मन के द्वार द्वार खुल जाते हैं और चंचल मन प्रभु में विलीन हो जाता है। तब मानव का जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म को जानने से मानव का जीवन सार्थक होगा है। गुरु पूर्णिमा के पूर्व सूक्ष्म रूप से आयोजित एक सादे कार्यक्रम में आज श्री मती इंदिरा देवी के हैबरगांव बाजार स्थित निवाश स्थान पर तप स्थान के गद्दी के सन्मुख सभी श्रद्धालुओं ने तिलक लगाकर पूजन करते हुए सद्गुरु के प्रतिचित्र पर फूलों की वर्षा की।