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नई दिल्ली l भाजपा ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। दरअसल, एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अब तक धनखड़ के नाम पर चर्चा काफी कम थी। उन्हें प्रबल दावेदार तक नहीं माना जा रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर एनडीए ने धनखड़ पर दांव क्यों खेला? नड्डा ने अपने बयान में उन्हें किसान का बेटा बताकर किसानों को साधने की कोशिश की है या राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ के बहाने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में समीकरण सेट करने की तैयारी है?
किसानों को साधने की कोशिश?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का एलान करते वक्त जगदीप धनखड़ को किसान का बेटा कहकर संबोधित किया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसके माध्यम से भाजपा किसानों को साधने की कोशिश कर सकती है। दरअसल, किसान आंदोलन के बाद किसानों का रुख भाजपा के प्रति सख्त बताया जा रहा है। हालांकि, पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर इसका खास असर तो नहीं दिखा, लेकिन विपक्षी दल बार-बार इस मसले को उठाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में धनखड़ को किसान का बेटा बताकर भाजपा किसानों के प्रति अपनी नाराजगी कम करने की कोशिश कर सकती है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव पर नजर :
राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि धनखड़ के बहाने भाजपा राजस्थान की सत्ता पर काबिज होने की तैयारी कर सकती है। दरअसल, राजस्थान में वसुंधरा राजे गुट नाराज चल रहा है। वहीं, एनडीए के सहयोगी हनुमान बेनीवाल भी अग्निपथ योजना को लेकर भाजपा से नाराज नजर आए थे। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा नए चेहरे पर दांव खेल सकती है, जिसके लिए पार्टी को सीधे तौर पर आम जनता के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में धनखड़ का चेहरा भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है।
सियासी दांव-पेच और कानून के जानकार हैं धनखड़ :
बता दें कि जगदीप धनखड़ कानून, सियासत, सियासी दांव-पेच औऱ हर राजनीतिक दल में अपने संबंधों को कायम करने की महारत के लिए जाने जाते हैं। वह राजस्थान की जाट बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस समुदाय में धनखड़ की काफी अच्छी पकड़ है।
जनता दल और कांग्रेस में भी रह चुके हैं धनखड़ :
बता दें कि राजस्थान के झुंझनू से ताल्लुक रखने वाले जगदीप धनखड़ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। वह झुंझुनूं से 1989 से 91 तक जनता दल से सांसद रहे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। वह अजमेर से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2003 में धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ़ से विधायक बने। धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं, बल्कि जाने-माने वकील भी हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और राजस्थान हाई कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।