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बर्मिंघम I भारतीय वेटलिफ्टर गुरुराजा पुजारी ने शनिवार को भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स का दूसरा पदक जीत लिया। उन्होंने वेटलिफ्टिंग में 61 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। स्नैच एंड क्लीन-जर्क इवेंट में गुरुराजा ने पदक अपने नाम किया। स्नैच में गुरुराजा ने 118 किलोग्राम का भार उठाया, जबकि क्लीन एंड जर्क में 269 किलोग्राम का भार उठाया। गुरुराजा को आखिरी के राउंड में कनाडा के यूरी सिमार्ड से कड़ी टक्कर मिली।
क्लीन एंड जर्क में गुरुराजा सिमार्ड से एक किलो ज्यादा भार उठाने में सफल रहे। पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में गुरुराजा ने रजत पदक अपने नाम किया था। हालांकि, इस बार उन्हें कांस्य से ही संतोष करना पड़ा। यह आज का भारत का दूसरा पदक है। इससे पहले वेटलिफ्टिंग में ही संकेत सरगर ने 55 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक अपने नाम किया था।
29 साल के गुरुराजा के इस कांस्य पदक को जीतने तक की कहानी बेहद दिलचस्प रही है। उनके पिता महाबाला पुजारी पिक-अप ट्रक के चालक हैं, लेकिन उन्होंने कभी बेटे को हिम्मत नहीं हारने दिया। उन्होंने कभी पैसे को बेटे की मेहनत के आगे आने नहीं दिया। वहीं, गुरुराजा ने भी जमकर मेहनत की और भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में पदक जीते। गुरुराजा का जन्म 15 अगस्त 1992 को कर्नाटक के उडीपी जिले के कुंडापुरा गांव में हुआ था।
स्कूल के दिनों से ही गुरुराजा को खेलों के प्रति काफी रुचि थी। हाईस्कूल के समय गुरुराजा का मन पहलवान बनने का था। इसके लिए उन्होंने कुश्ती के गुर भी सीखे। 12वीं की पढ़ाई के दौरान उनके शिक्षक ने उन्हें खेल में आगे बढ़ने में मदद की। गुरुराजा बताते हैं कि जब उन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में पहलवान सुशील कुमार को देखा तो उन्होंने पहलवान बनने का मन बना लिया था। हालांकि, जब वह कॉलेज गए तो उनके स्पोर्ट्स कोच ने उनके हुनर को पहचाना और कुश्ती के बजाय वेटलिफ्टिंग करने की सलाह दी।
ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान कोच ने गुरुराजा को वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग भी दी। गुरुराजा का बचपन काफी अभावों में बीता, लेकिन इस वजह से खेल के प्रति उनका लगाव कभी कम नहीं हुआ। गुरुराजा के चार बड़े भाई आर्थिक तंगियों की वजह से स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। सिर्फ गुरुराजा और उनके छोटे भाई राजेश ही ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी कर पाए।
गुरुराजा के लिए पढ़ाई के साथ-साथ वेटलिफ्टिंग को जारी रखना किसी चुनौती से कम नहीं था। एक अच्छे वेटलिफ्टर बनने के लिए अच्छा डाइट होना बेहद जरुरी होता है। हालांकि, उनका परिवार उनके इस डाइट को मैनेज करने में सक्षम नहीं था। इसके बाद गुरुराजा इनाम से मिले पैसों को अपनी डाइट में खर्च करने लगे। हालांकि, समय के साथ अच्छी डाइट की मांग और बढ़ने लगी। इसी कारण उन्होंने सेना में भर्ती होने का प्रयास किया, लेकिन छोटी हाइट की वजह से उनका भर्ती नहीं हुआ। फिर गुरुराजा ने एयरफोर्स ज्वाइन करने का फैसला लिया। फिलहाल गुरुराजा वायुसेना में कर्मचारी हैं।