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गुवाहाटी I पारीक सभा, गुवाहाटी के तत्वावधान मे आयोजित नानी बाई रो मायरो मे दुसरे दिन की कथा में पंडित कैलास सारस्वत द्वारा नरसी भक्त एवं नानी बाई ने भगवान से करुणा के साथ जो मार्मिक पुकार की उस प्रसंग का वर्णन किया गया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की लीला अद्भुत है Iअपने भक्त की मुश्किलों को दूर करने के लिए भगवान हर पल-हर क्षण तैयार रहते हैं ।सारस्वत ने बताया कि जब नरसीजी की बेटी नानीबाई की पुत्री का विवाह तय हुआ, तब ससुराल पक्ष द्वारा नरसीजी को अंजार नगर पधारने का निमंत्रण दिया गया। नरसीजी ने कुंकूम पत्रिका के साथ आई मायरे में भेंट करने की सूची अपने आराध्य ठाकुरजी के चरणों में रख दी। तब भगवान श्री कृष्ण ने सेठ के रूप में नरसीजी की कुटिया में आकर संदेश वाहक को भोजन करवाकर यथायोग्य दक्षिणा दी।
सारस्वत ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब नरसीजी ने अपने रिश्तेदारों को विवाह में पधारने का निमंत्रण दिया और मायरा के लिए मदद मांगी तो सभी ने उनका अनादर किया ।आक्रोश प्रकट न करते हुए नरसी अपने आराध्य श्री कृष्ण को याद करते हुए मायरे की विनती के साथ कृष्ण भक्ति में लीन हो गए। समय आने पर नरसी अपनी भक्त मंडली व साधु-सतों के साथ अंजार जाने के लिए साधन की तलाश में जूनागढ़ घूमे।एक किसान ने जर्जर हालत में पड़ी अपनी पुरानी बैलगाड़ी एव वृद्ध असहाय बैल उनको को दे दिए।जर्जर बैलगाड़ी पर अपने आराध्य ठाकुरजी की प्रतिमा को विराजमान करते हुए नरसी अपनी भक्त मंडली के साथ अंजार की ओर श्री कृष्ण के भजन-कीर्तन करते हुए रवाना हो गए। रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया टूट गया तो भगवान कृष्ण खाती का वेश धारण कर आए और गाड़ी ठीक की I इतना ही नहीं, वे स्वयं गाड़ीवान बनकर उनको अंजार लेकर चल पड़े।
सारस्वत ने कथा में गाय का महत्व बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में गौ वंश की उपेक्षा हो रही है। इसी के परिणामस्वरूप कहीं अकाल तो कहीं अतिवृष्टि हो रही है। इन सारी समस्याओं का समाधान गौरक्षा, गौ सेवा से संभव है। बिना गौ सेवा गौरक्षा के विश्व का कल्याण संभव नहीं है। गौ माता में तैंतीस कोटी देवी-देवताओं का वास है। गाय ही साक्षात भगवान है और गौ सेवा से भगवत प्राप्ति संभव है।
सारस्वत ने कहा कि वर्तमान में राजस्थान के गौवंश में संक्रामक चर्म रोग लम्पी फैला हुआ है। सभी से निवेदन है की गौवंश को इस महामारी से बचाने मे यथासंभव सहयोग करे।