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पटना I बिहार में चल रहे सियासी तूफान के बीच तेजस्वी की पार्टी आरजेडी ने बड़ा एलान कर दिया है। समाचार एजेंसी के अनुसार राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के कहा कि अगर सीएम नीतीश भाजपा से नाता तोड़ लेते हैं तो उनकी पार्टी जेडीयू को समर्थन देने के लिए तैयार है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि मंगलवार को दोनों दलों द्वारा विधायकों की बैठक बुलाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्थिति असाधारण है।
शिवानंद तिवारी ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से, मुझे चल रही घटनाओं के बारे में पता नहीं है, लेकिन हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि दोनों दलों ने उस समय बैठक बुलाई है जब विधानसभा सत्र नजदीक है। उन्होंने कहा कि भाजपा और जदयू के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार की राजनीति कभी भी करवट ले सकती है।
हमारे पास नीतीश को गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है: शिवानंद तिवारी
शिवानंद तिवारी ने कहा कि अगर नीतीश एनडीए को छोड़ना चाहते हैं, तो हमारे पास उन्हें गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है। राजद भाजपा से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। तिवारी ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री इस लड़ाई में शामिल होने का फैसला करते हैं तो हमें उन्हें साथ लेकर चलना होगा।
अब जानिए क्या हैं बिहार के राजनीतिक आंकड़े?
बिहार विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 243 है। यहां बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी को 122 सीटों की जरूरत है। वर्तमान आंकड़ों को देखें तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है। उसके पास विधानसभा में 79 सदस्य हैं। वहीं, भाजपा के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, कम्यूनिस्ट पार्टी के पास 12, एआईएमआईएम के पास 01, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास 04 सदस्य हैं। इसके अलावा अन्य विधायक हैं।
कैसे बन रहे हैं नए समीकरण?
वर्तमान में जदयू के पास 45 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। पिछले दिनों राजद और जदयू के बीच नजदीकी भी बढ़ी हैं। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो राजद के 79 विधायक मिलाकर इस गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो बहुमत से ज्यादा हैं। इसके अलावा खबर है कि इस गठबंधन में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और कम्यूनिस्ट पार्टी के 12 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास बहुमत से कहीं ऊपर 155 विधायक होंगे। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार अन्य विधायकों का भी उन्हें साथ मिल सकता है।
जानें कैसे बढ़ी जदयू- भाजपा के बीच दूरी?
भाजपा और जदयू के बीच दूरी बढ़ने की शुरुआत कुछ महीने पहले हुई थी। जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार भाजपा से अलग-थलग नजर आए और उन्होंने विपक्षी दलों के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग की। जानकारी के अनुसार सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर बुलाई गई बैठक से दूर रहे। हाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में दिए गए भोज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाई। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी बनाने के बाद अब नीति आयोग की बैठक से भी दूर रहे।