असम : सोनितपुर जिले में अवैध निर्माण पर बड़ा प्रहार, सैकड़ों मकान ढहाए, 330 एकड़ जमीन मुक्त
थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी I असम के सोनितपुर जिले में आज सुबह भारी सुरक्षा बंदोबस्त के साथ अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान 330 एकड़ जमीन मुक्त कराई जा रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर बरचल्ला में नंबर 3 चीतलमारी क्षेत्र में घरों को ध्वस्त करने का अभियान शुरू किया गया है। करीब 50 एक्सकेवेटरों और भारी मशीनरी तथा बड़ी संख्या में श्रमिकों को इस कार्रवाई के लिए तैनात किया गया है।
शांतिपूर्वक चल रही कार्रवाई :
अधिकारी ने कहा कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई अब तक शांतिपूर्वक चल रही है। कानून व व्यवस्था में अभी कोई खलल नहीं पड़ा है। कार्रवाई आज सुबह करीब 5 बजे शुरू हुई। इससे पहले ही इस इलाके में बने अवैध मकानों व अन्य ढांचों को छोड़कर लोग चले गए थे। उन्हें पहले ही नोटिस दिया जा चुका था। कार्रवाई तीन चरणों में चल रही है। पहले चरण की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है। कार्रवाई को निर्बाध चलाने के लिए असम पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। ये दंगा रोधी उपकरणों से लैस हैं।
299 परिवार रह रहे थे अवैध मकानों में :
इस इलाके में कब्जाए गई सरकारी जमीन पर बने मकानों में 299 परिवार रह रहे थे। इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा आठ माह पहले दिए गए नोटिस के बाद वहां से अन्यत्र जा चुके थे। बेदखल किए गए कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार ने उनके पुनर्वास के कोई इंतजाम नहीं किए। हम यहां दशकों से रह रहे थे। एक महिला ने कहा कि हम यहां दशकों से रह रहे हैं। हमारे पास कोई नौकरी नहीं है।हमें नहीं पता कि अब हम कहां जाएंगे और कहां रहेंगे।
वहीं, सोनितपुर जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों क्षेत्र में 31 अगस्त से गश्त कर रहे थे। उन्होंने लोगों को स्वेच्छा से जमीन खाली करने के लिए प्रेरित किया। ज्यादातर लोग मान चुके हैं कि यह सरकारी जमीन है। अतिक्रमण मुक्त करने के बाद इसका इस्तेमाल विकास कार्यों में किया जाएगा।
सबसे ज्यादा बंगाली मुस्लिमों का कब्जा था :
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई दशक पहले ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर नगांव और मोरीगांव जिलों में बड़े पैमाने पर कटाव के बाद बड़ी संख्या में लोग इस क्षेत्र में आ गए थे। क्षेत्र की जनसांख्यिकी के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि यहां कई समुदायों का मिश्रण है, लेकिन सबसे अधिक परिवार बंगाली भाषी मुसलमानों के थे। इसके बाद बंगाली हिंदू और गोरखाओं के थे।