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गुवाहाटी । असम सरकार ने सोमवार को कहा कि वह नियम थोपने की बजाय जागरूकता पैदा कर जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में काम कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने विधानसभा में कहा कि इस संबंध में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए तैयार किया जा रहा कानून :
भाजपा विधायक हेमांग ठाकुरिया द्वारा सदन में उठाए गए जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता के मामले का जवाब देते हुए, महंत ने कहा कि राज्य सरकार 2017 में असम की जनसंख्या और महिला अधिकारिता नीति लेकर आई थी, जो इस मुद्दे से संबंधित है। उन्होंने कहा कि व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों के लिए एक कानून भी तैयार किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों के लिए परिवार का आकार तय करने सहित दो बच्चों के मानदंड का पालन करने वाले अपने कर्मचारियों के लिए विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा विभिन्न निर्देशों और प्रोत्साहनों का उल्लेख किया। महंत ने कहा कि यह देखा गया है कि कम महिला साक्षरता दर वाले क्षेत्रों, खासकर चर (नदी) क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि अधिक रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे क्षेत्रों में साक्षरता और जागरूकता बढ़ाने पर काम कर रही है।
हमारी सरकार लोगों पर नियम नहीं थोपना चाहती :
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार लोगों पर नियम थोपना नहीं चाहती, लेकिन हम जागरूकता पैदा करना चाहते हैं। महिला सशक्तिकरण हमारी नीति का आधार है और हमें लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।’जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाने का आग्रह
भाजपा विधायक ठाकुरिया ने मामला उठाते हुए सरकार से जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने दावा किया कि कई जिलों में असामान्य जनसंख्या वृद्धि देखी जा रही है और इससे भविष्य में असम जैसे राज्य के लिए खाद्य सुरक्षा के मुद्दों सहित विभिन्न समस्याएं पैदा होंगी।