सतपाल महाराज के 71वें जन्म दिवस पर विशेष : अपने जीवन में चैन,अमन,भाई- चारा लाना चाहते है तो हमें अध्यात्म का सहारा लेना पडेगा- इंदिरादेवी रूठिया
थर्ड आई न्यूज

नगांव से डिंपल शर्मा
मानव उत्थान सेवा समिति(नगांव) की सदस्या और समाज सेविका इंदिरादेवी रूठिया ने सतपाल जी महाराज के 71वें जन्मोत्सव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब मानव समाज धर्म से विमुख हो अपनी मनमानी करने लगता है तो समाज में अनाचार, भ्रष्टाचार, भय व आतंक व्याप्त होने लगता है। ऐसे में धरती पर मनुष्य रूप में महाशक्ति का अवतरण होता है, जो भटके समाज को धर्म नीति व व्यवाहरिक बोध कराकर समाज की दशा-दिशा सुधारने का प्रयास करती हैं। कहा गया कि हमें सभी महापुरुषों का जन्मदिन मनाने के साथ उनकी मूल शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज मानव अपने मूल आधार से भटक गया है। जो सनातन ज्ञान है, उसको लोग भूल चुके हैं I इसके कारण आज मानव के अन्दर अशांति का भाव पैदा हुआ है। अपने जीवन में चैन, अमन, भाई- चारा लाना चाहते है, तो हमें अध्यात्म का सहारा लेना पडेगा। यह सनातन ज्ञान शुरू और अंत का मर्म है, जो नष्ट नही होता है। मानव यह ज्ञान को अपने अंदर जान कर भजन सुमिरण कर सकता है। तभी हमारा देश भारत विश्व गुरू बन सकता है।
स्मरण रहे कि सतपाल महाराज का जन्म 21 सितंबर 1951 को उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित कनखल में हुआ था I सतपाल महाराज का असली नाम सतपाल सिंह रावत है I सतपाल महाराज के पिता प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु योगीराज परमंत श्री हंस थे I सतपाल महाराज की माता का नाम राजेश्वरी देवी है।सतपाल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर प्रकाश डाले तो पता चलता है कि सतपाल महाराज के पिता हंस राज एक प्रसिद्द धार्मिक गुरु थे I अपने पिता के आचरणों का असर सतपाल महाराज पर भी पड़ा I साल 1970 में सतपाल महाराज ने अपने पिता की विरासत संभाली I साल 1966 में सतपाल महाराज के पिता का निधन हो गया I अपने पिता द्वारा दिखाए गए मार्गों पर चलते हुए सतपाल महाराज अपने भक्तों को प्रवचन भी देते है। सतपाल महाराज एक राजनेता होने के साथ-साथ एक धर्म गुरु भी है I उनके लाखों अनुयायी है जो उनकी पूजा तक करते हैं I सतपाल महाराज उत्तराखंड के बाहर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार,असम समेत कई राज्यों में अपने भक्तों को प्रवचन भी देने जाते है I