Pakistan: अत्याचार के खिलाफ हिंदुओं का मार्च, पाकिस्तान में बढ़ रही हैं जबरन धर्मांतरण-अपहरण की घटनाएं
थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली । पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय इस महीने के अंत में एक रैली निकालेगा। रैली के बाद इसमें शामिल लोग सिंध विधानसभा के बाहर इकट्ठा होंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। ये लोग पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ ये प्रदर्शन करेंगे। पाकिस्तान में लगातार जारी अपहरण, धर्मांतरण और नाबालिगों के जबरन विवाह की घटनाओं के बीच अब इस समुदाय ने विरोध का फैसला किया है।
आइये जानते हैं कि पाकिस्तान में प्रस्तावित हिंदू मार्च क्या है? मार्च आयोजित करने वालों ने इसकी क्या-क्या वजह बताई है? इससे पहले पाकिस्तान में कब इस तरह का प्रदर्शन हुआ? पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति क्या है? यहां क्यों निशाने में रहता है हिंदू समुदाय?
पाकिस्तान में प्रस्तावित हिंदू मार्च क्या है?
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू समुदाय के नेताओं ने 30 मार्च को एक रैली आयोजित करने की घोषणा की है। यह रैली देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पाकिस्तान दारावर इत्तेहाद (पीडीआई) की ओर से आयोजित की गई है। पीडीआई के अध्यक्ष फकीर शिवा कुची ने कहा, हम हिंदू समुदाय से हजारों लोगों के रैली में भाग लेने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि सरकार हमारी महिलाओं और लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और फर्जी विवाह पर आंखें मूंद चुकी है।
रैली का मकसद क्या है?
शिवा कुची ने कहा कि संगठन ने जागरुकता फैलाने के लिए पूरे प्रांत में रैलियां निकालनी शुरू कर दी हैं। उन्होंने बताया, हम चाहते हैं कि जब यह विरोध रैली 30 मार्च को आयोजित की जाएगी, तब हर कोई देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के सामने आने वाले मुद्दों को देखे। कुची ने कहा कि उनकी मांग है कि जबरन धर्मांतरण और विवाह के खिलाफ सिंध विधानसभा में एक रुका हुआ विधेयक पारित किया जाए।
क्या सिंध में हिंदू सबसे ज्यादा प्रताड़ित हैं?
पाकिस्तान में अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रांत में बसी है जहां वे मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति, परंपरा और भाषा साझा करते हैं। हालांकि, यहां अक्सर चरमपंथियों द्वारा समुदाय के लोगों का उत्पीड़न करने की घटनाएं आती हैं। पिछले महीने सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत लगातार खराब होती स्थिति के बीच, बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदू भारत आना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार उन्हें रोक रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 190 हिंदुओं को पाकिस्तान सरकार ने वाघा बॉर्डर पर रोक लिया था। इन्हें भारत आने ही मंजूरी नहीं दी गई।
रिपोर्ट के अनुसार, सिंध प्रांत से बड़े पैमाने पर हिंदू भारत आना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार इसके लिए इजाजत नहीं दी। कई लोगों को वाघा बॉर्डर पर रोक लिया गया। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि वीजा के लिए अप्लाई करने वाले लोग भारत जाने का स्पष्ट कारण नहीं बता पा रहे हैं।
इससे पहले कब उठा था मुद्दा?
सिंध प्रांत के विभिन्न जिलों में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का मामला 2019 में सिंध विधानसभा में उठ चुका है। एक प्रस्ताव पर बहस हुई और कुछ विधायकों की आपत्तियों पर संशोधन के बाद सर्वसम्मति से इसे पारित किया गया कि इसे केवल हिंदू लड़कियों तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। जबरन धर्मांतरण को अपराध ठहराने वाले विधेयक को हालांकि बाद में विधानसभा में खारिज कर दिया। इसी तरह का विधेयक फिर से प्रस्तावित किया गया, लेकिन 2021 में इसे भी खारिज कर दिया गया।
पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति क्या है?
पाकिस्तान में हिंदू आबादी अल्पसंख्यक और गरीब है। देश की विधायी प्रणाली में उनका प्रतिनिधित्व नगण्य है। यहां के ‘सेंटर फॉर पीस एंड जस्टिस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 22,10,566 लोग रहते हैं, जो देश की कुल पंजीकृत आबादी का केवल 1.18 प्रतिशत है। अहमदियों, ईसाइयों से लेकर हिंदुओं तक, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। हिंदू अल्पसंख्यक दो प्रतिशत से भी कम हैं जिनमें से 95 प्रतिशत सिंध के दक्षिणी प्रांत में रहते हैं।
पाकिस्तान में बच्चियों का जबरन धर्मांतरण बड़ी समस्या :
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। देश के अल्पसंख्यक नेताओं ने कई बार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जताई, क्योंकि देश में धर्मांतरण बढ़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाक में जबरन धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों में 70 फीसदी से ज्यादा नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। ‘द नेशन’ के मुताबिक, देश में ऐसे मामले 2020 में 15 थे जबकि 2021 में ये 60 से भी ज्यादा हो गए हैं। देश में हर साल 1,000 लड़कियां अगवा होती हैं और उन्हें धार्मिक पहचान बदलने को बाध्य किया जाता है।
अपहरण के बाद लड़कियों की जबरन शादी कर दी जाती है और उन्हें इस प्रथा से बचाने के लिए कोशिश तक नहीं होती है। हाल ही में 13 व 19 वर्ष की दो हिंदू लड़कियों को एक ईसाई लड़की के साथ अगवा कर धर्मांतरण के बाद 40 वर्षीय पुरुषों से शादी की गई। द नेशन के अनुसार, चिंता का विषय यह है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो ऐसी घटनाओं को रोकता हो।
द नेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हाल की वर्षों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और ऐसे अन्य मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस्लाम खबर ने भी एक रिपोर्ट दी है जिसके मुताबिक, 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद से देश में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले बढ़े हैं।